चौथ का चांद: चौथ का चांद निकलने का समय हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है। चौथ व्रत महिलाएं रखती हैं जिसमें चांद पूजन के बाद ही व्रत को तोड़ा जाता है। इस प्रकार, चौथ का चांद निकलने के समय का निर्धारण व्रत के अवधि तथा दिनांक के आधार पर किया जाता है।
चौथ व्रत एक प्रमुख हिन्दू व्रत है जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु एवं सुख-समृद्धि की कामना में रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं सुबह से ही निर्जला व्रत रखती हैं तथा चांद पूजन के बाद ही व्रत को तोड़ती हैं।
चौथ व्रत के दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास करती हैं और रात को चांद की पूजा करती हैं। चांद का निकलना चौथ व्रत के समाप्त होने का संकेत होता है। यह व्रत धार्मिक एवं सामाजिक मान्यताओं से है जिसमें चंद्रमा की महिमा एवं महत्व बताया जाता है।
चौथ का चांद निकलने का समय प्रति समय बदलता रहता है। इसे पांच वर्षों तक अलग-अलग समय में निकलते देखा जा सकता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चौथ का चांद निकलने का समय स्थानीय समय के अनुसार होता है जिसे पंचांग के व्रत खंड में दर्शाया जाता है।
1. चौथ का व्रत किस प्रकार मनाया जाता है?
2. चांद की पूजा क्या मायने रखती है चौथ व्रत में?
3. चौथ का चांद निकलने के बाद व्रत को कैसे तोड़ा जाता है?
4. चौथ के व्रत का क्या महत्व है हिन्दू धर्म में?
5. चौथ का चांद कब व क्यों देखना चाहिए?
चौथ का चांद निकलने का समय आसपासी संगठनों एवं पंडितों द्वारा निर्धारित किया जाता है तथा आमतौर पर पंचांग के अनुसार होता है। इस अवसर पर महिलाएं धार्मिक एवं सामाजिक विचारधारा के साथ चंद्रमा की पूजा करती हैं जिससे पति की उनके प्रति स्नेह एवं सम्मान में वृद्धि होती है।
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